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शंखेश्वर को नमन करूं, पुजू गोड़ीजी पाय, नाकोड़ा के दर्शन से, दुःख सकल मिट जाए । नाकोड़ा भैरव प्रभु, सुमंधा थारो नाम, जीवन सफल बनावे जो, सिद्ध सकल हैं धाम । माया मोह में जीवड़ो फस्यो, आयो थारे द्वार, दिजो सहारो नाथ जी, हे मुक्ति दातार । एक सहारो नाथ को, छोड़जो मत तुम साथ, चरण पखेरू भैरवा, हे प्रभु दीनानाथ । भिक मांगु मैं हे प्रभु, दर्शन की थारा भिक, द्वार खड्या थारा भैरव, दो भक्ति की सीख । नाकोड़ा भैरव कदर, सब संकट मिट जाए, द्वार पे थारा जो चढ़े, कष्ट कभी नि सताए । नाकोड़ा भैरव थारो, जो ले घर मे नाम, सुख संपत्ति पावे हैं वो, घर केवाए धाम । जो घर मे होवे नहीं, कोई कभी संतान, भक्ति से भैरव प्रभु, होवे गर्भादान । रोगी जो भोगे सदा, दुःख की होवे निदान, दर्शन से नाकोड़ा के, मिले उन्हें वरदान । पीड़ित जो असहाय हैं, द्वार थारा सुख पाए, दुःखी जना को तू प्रभु, हर ले दुखड़ा आए । सुखकर्ता नाकोड़ा भैरव, जाने सकल जहां, मानता से थारी प्रभु, होवे सकल सब काम । चरण शरण मे जो आवे, पाप दूर हो जाए, दिव्य प्रभाव से भैरवा, कष्ट सभी भाग जाए । तू अकूत शक्ति का हैं, करुणा का भंडार, लाख